Attitude Shayari in Hindi 2025

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तुम मेरे लिए काफी हो,
और मैं दुनिया के लिए काफी हूँ।

अभी शीशा हूँ सबकी आँखों में चुभता हूं,
जब आईना बन जाऊंगा सारा जहाँ देखेगा।

हमारी हैसियत का अंदाज़ा तुम ये जान के लगा लो,
हम कभी उनके नहीं होते जो हर किसी के हो गए।

हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे।

वो खुद पे इतना गुरूर करते हैं तो इसमें हैरत की बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते हैं वो आम हो ही नहीं सकते।

चुप्पी जब सवाल करती है तो,
बड़े बड़े बोलने वाले खामोश हो जाते है

हम बदलते नहीं, बस दुनिया समझ नहीं पाती!”

Attitude Shayari in Hindi

खुद को खो के, किसी और को पाना,
हम ने छोड़ दिया है, ऐसा इश्क़ निभाना।

सूरज, चाँद और सितारे मेरे साथ में रहे,
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे,
शाखों से जो टूट जाये वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

मुझे शोर नहीं, चुप्पी सुनने वालों के साथ रहना है।

कहते है हर बात जुबान से इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं पे गुजारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते

फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,
तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।

मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
मैं पहले भी कई तूफानों के रुख मोड़ चुका हूँ।

अपराध सब ने की है यहाँ। सही मैं भी नहीं,
तू भी नहीं, रब मैं भी नहीं, तू भी नहीं।

हम न बदलेंगे वक्त की रफ्तार के साथ,
हम जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा

हर कोई खुद ही जिम्मेदार है,
अपनी ज़िंदगी की रिहाई का और गिरफ्तारी का

रहते हैं आस-पास ही लेकिन पास नहीं होते,
कुछ लोग मुझसे जलते हैं बस ख़ाक नहीं होते।

जैसा तू सोचता है, वैसा मैं हूँ नहीं!”

Attitude Shayari in Hindi

मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान,
बस मुझे उतना समझ जितना नजर आता हूँ मैं।

पत्थर भी तो अब मुझसे किनारा करने लगे,
कि तुम ना सुधरोगे मेरी ठोकरें खा कर

नाज़ क्या इस पे जो बदला ज़माने ने तुम्हें, हम हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।

थोड़ी खुद्दारी भी लाजिमी थी दोस्तो,
उसने हाथ छुड़ाया तो हमने छोड़ दिया।

दुनिया इतनी बड़ी हो गई,
पता नहीं लोग दो कौड़ी के क्यू है

हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर,
बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिये हुए।

खुद्दारियों में हद से गुजर जाना चाहिए,
इज्ज़त से जी न पाये तो मर जाना चाहिए।

अपनी ज़िद को अंजाम पर पहुँचा दूँ तो क्या,
तू तो मिल जायेगी पर तेरी मोहब्बत का क्या?

मैं नाकाम ज़िंदगी में हूँ,
प्यार में नहीं।

महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मीं,
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा

मेरी जान थी तुम,
अब ये बात जान लो तुम।

संभल कर किया करो लोगो से बुराई मेरी,
तुम्हारे तमाम अपने मेरे ही मुरीद हैं।

हम बसा लेंगें एक दुनिया किसी और के साथ,
तेरे आगे रोयें अब इतने भी बेगैरत नहीं हैं हम।

खुद से जीतने की जिद है मेरी, मुझे खुद को ही हराना है,
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अन्दर ही ज़माना है।

सुन बेटा, स्टाइल खुद का है और पहचान भी!

Attitude Shayari in Hindi

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।

ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है,
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता।

मार ही डालें हमें बे-मौत ये दुनिया वाले,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते है।

ख्वाब में तो ख्वाब पूरे हो नहीं सकते कभी,
इसलिए राहे हकीकत पर चला करता हूँ मैं।

मैं मोहब्बत करता हूँ तो टूट कर करता हूँ,
ये काम मुझे जरूरत के मुताबिक नहीं आता।

हमेशा हो तो तेरे साथ हो,
कुछ पल के लिए मैं अकेला ही सही हूँ

हमको मिटा सके वो ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना खुद है ज़माने से हम नहीं।

मेरी तकदीर में जलना है तो जल जाऊँगा,
मैं कोई तेरा वादा तो नहीं जो बदल जाऊँगा,
मुझको न समझाओ मेरी ज़िन्दगी के उसूल,
मैं खुद ही ठोकर खा के संभल जाऊँगा।

जिस दिन आप, आप बन गए,
उसके बाद ज़िंदगी अपने आप बन जाएगी।

हालात के कदमों पर समंदर नहीं झुकते,
टूटे हुए तारे कभी ज़मीन पर नहीं गिरते,
बड़े शौक से गिरती हैं लहरें समंदर में,
पर समंदर कभी लहरों में नहीं गिरते।

हादसों की ज़द में हैं तो क्या मुस्कुराना छोड़ दें,
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें?

तू जलता रह, मैं चलता रहूँगा

Attitude Shayari in Hindi

जरा सा हट के चलता हूँ ज़माने की रिवायत से,
कि जिन पे बोझ डाला हो वो कंधे याद रखता हूँ।

उसे लगता है कि उसकी चालाकियाँ मुझे समझ नहीं आती,
मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ उसे अपनी नजरों से गिरते हुए।

हमारी तरक्की में सब खामोश,
तबाही का इंतज़ार कर रहे है।

खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ दोस्तों,
सिक्के हमारे मिजाज़ के, चलेंगे जिस रोज।

हम इस दुनिया में मशहूर होने आये है
, मगरूर होने नहीं।

गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँ,
प्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करता हूँ,
यहाँ पर लोग गिनाते है खूबियाँ अपनी, मैं अपने-आप में कमियाँ तलाश करता हूँ।

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ,
जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।

अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी,
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हूँ।

आदतें बुरी नहीं, शौक ऊँचे हैं,
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं कि हम देखे और पूरा ना हो।

सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर हैं।

अगर अंजाम की परवाह होती तो, हम मोहब्बत करना छोड़ देते,
मोहब्बत में तो जिद्द होती है, और जिद्द के बड़े पक्के हैं हम।

मिज़ाज में थोड़ी सख्ती लाज़िमी है हुज़ूर,
लोग पी जाते समंदर अगर खारा न होता।

इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरी जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं।

तुम सबका बनो, लेकिन खुद को भी साथ ले के चलो।

एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर,
उठती उँगलियों ने ही मुझे मशहूर कर दिया।

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