All Attitude shayari for you

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तुम मेरे लिए काफी हो,
और मैं दुनिया के लिए काफी हूँ।

अभी शीशा हूँ सबकी आँखों में चुभता हूं,
जब आईना बन जाऊंगा सारा जहाँ देखेगा।

हमारी हैसियत का अंदाज़ा तुम ये जान के लगा लो,
हम कभी उनके नहीं होते जो हर किसी के हो गए।

हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे।

वो खुद पे इतना गुरूर करते हैं तो इसमें हैरत की बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते हैं वो आम हो ही नहीं सकते।

चुप्पी जब सवाल करती है तो,
बड़े बड़े बोलने वाले खामोश हो जाते है।

खुद को खो के, किसी और को पाना,
हम ने छोड़ दिया है, ऐसा इश्क़ निभाना।

मुझे शोर नहीं,
चुप्पी सुनने वालों के साथ रहना है।

सूरज, चाँद और सितारे मेरे साथ में रहे,
जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे

शाखों से जो टूट जाये वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

कहते है हर बात जुबान से इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं पे गुजारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।

फर्क बहुत है तुम्हारी और हमारी तालीम में,
तुमने उस्तादों से सीखा है और हमने हालातों से।

मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
मैं पहले भी कई तूफानों के रुख मोड़ चुका हूँ

अपराध सब ने की है यहाँ। सही मैं भी नहीं,
तू भी नहीं, रब मैं भी नहीं, तू भी नहीं।

हर कोई खुद ही जिम्मेदार है,
अपनी ज़िंदगी की रिहाई का और गिरफ्तारी का।


रहते हैं आस-पास ही लेकिन पास नहीं होते,
कुछ लोग मुझसे जलते हैं बस ख़ाक नहीं होते।

मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान,
बस मुझे उतना समझ जितना नजर आता हूँ मैं।

पत्थर भी तो अब मुझसे किनारा करने लगे,
कि तुम ना सुधरोगे मेरी ठोकरें खा कर।

नाज़ क्या इस पे जो बदला ज़माने ने तुम्हें,
हम हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।

थोड़ी खुद्दारी भी लाजिमी थी दोस्तो,
उसने हाथ छुड़ाया तो हमने छोड़ दिया।

दुनिया इतनी बड़ी हो गई,
पता नहीं लोग दो कौड़ी के क्यू है

हम जा रहे हैं वहां जहाँ दिल की हो क़दर,
बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिये हुए

खुद्दारियों में हद से गुजर जाना चाहिए,
इज्ज़त से जी न पाये तो मर जाना चाहिए।

अपनी ज़िद को अंजाम पर पहुँचा दूँ तो क्या,
तू तो मिल जायेगी पर तेरी मोहब्बत का क्या?

मैं नाकाम ज़िंदगी में हूँ,
प्यार में नहीं।

महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मीं,
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा।

संभल कर किया करो लोगो से बुराई मेरी,
तुम्हारे तमाम अपने मेरे ही मुरीद हैं।

हम बसा लेंगें एक दुनिया किसी और के साथ,
तेरे आगे रोयें अब इतने भी बेगैरत नहीं हैं हम

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।

खुद से जीतने की जिद है मेरी
मुझे खुद को ही हराना है,
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की
मेरे अन्दर ही ज़माना है

ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है,
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता।

मार ही डालें हमें बे-मौत ये दुनिया वाले,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते है।

ख्वाब में तो ख्वाब पूरे हो नहीं सकते कभी,
इसलिए राहे हकीकत पर चला करता हूँ मैं।

मैं मोहब्बत करता हूँ तो टूट कर करता हूँ
ये काम मुझे जरूरत के मुताबिक नहीं आता।

हमको मिटा सके वो ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना खुद है ज़माने से हम नहीं।

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