Intzaar Shayari in Hindi 2025

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उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।

उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का।

किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है।

आप करीब ही न आये इज़हार क्या करते,
हम खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते,
साँसे साथ छोड़ गयीं पर खुली रखी आँखें,
इस से ज्यादा किसी का इंतज़ार क्या करते।

आदतन तुमने कर दिये वादे, आदतन हमने भी ऐतबार किया,
तेरी राहों में हर बार रुककर, हमने अपना ही इंतजार किया।

उसी तरह से हर एक ज़ख्म खुशनुमा देखे,
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे,
गुजर गए हैं बहुत दिन रफाकत-ए-शब में,
एक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे

बेखुदी ले गई कहाँ हमको, देर से इंतज़ार है अपना,
रोते फिरते हैं सारी-सारी रात, अब यही बस रोज़गार है अपना।

खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर,
तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा।

कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।

टूट गया दिल पर अरमान वही है, दूर रहते हैं फिर भी प्यार वही है,
जानते हैं कि मिल नहीं पायेंगे, फिर भी आँखों में इंतज़ार वही है।

दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के,
न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।

इंतज़ार भी एक मोहब्बत है, जो हर रोज़ वफ़ा निभाती है।” intzaar”

Intzaar Shayari in Hindi

राह चलते तू औरों का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू थोड़ा पहचान ले,
कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में मैंने, \
जरा इस दिल की बेताबी को भी तू जान ले।

एक आरज़ू है पूरी अगर परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।

इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा, यादें कटती हैं ले ले कर नाम तेरा,
मुद्दत से बैठे हैं यह आस पाले, कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा।

एक लम्हे के लिए मेरी नजरों के सामने आजा,
एक मुद्दत से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के,
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के।

अब तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं सनम,
फिर भी आखिरी साँस तक तेरा इंतजार करेंगे।

तमाम उम्र यूँ ही हो गयी बसर अपनी,
शबे-फिराक गयी, रोजे-इंतज़ार आया।

मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही,
ऐ ज़िन्दगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही,
बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दीये,
कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही।

कभी खामोशियों में, कभी लफ़्ज़ों में

Intzaar Shayari in Hindi

फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह
, देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया

कुछ रोज़ ये भी रंग रहा तेरे इंतज़ार का,
आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे।

वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे,
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे, वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था,
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे।

बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
लौट के कब आते हैं छोड़ कर जाने वाले।

वो कह कर गया था कि लौटकर आएगा,
मैं इंतजार ना करता तो और क्या करता,
वो झूठ भी बोल रहा था बड़े सलीके से, मैं एतबार ना करता तो और क्या करता।

हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर

पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का।

चले भी आओ तसव्वर में मेहरबां बनकर,
आज इंतज़ार तेरा दिल को हद से ज्यादा है।

जीने की ख्वाहिश में हम रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये मगर इंतज़ार करते हैं, झूठा ही सही पर मेरे यार का वादा है,
हम सच मान कर ऐतबार करते हैं।

उनकी उदास आँखों में करार देखा है,
पहली बार उन्हें ऐसे बेकरार देखा है, जिन्हें खबर ना होती थी मेरे आने की,
उनकी आँखों में अब इंतज़ार देखा है।


इंतज़ार की तासीर भी अजीब होती है — दर्द भी देता है, उम्मीद भी। Intzaar

Intzaar Shayari in Hindi

किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।

हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।

तमाम उम्र तेरा इंतज़ार कर लेंगे,
मगर ये रंज रहेगा कि ज़िन्दगी कम है।

इक मैं कि इंतज़ार में घड़ियाँ गिना करूँ,
इक तुम कि मुझसे आँख चुराकर चले गये।

ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।

कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर,
वो मिले भी तो एक किनारा बनकर,
हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह,
बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर।

आँखों ने जर्रे-जर्रे पर सजदे लुटाये हैं,
न जाने जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।

यकीन है कि ना आएगा इस से मिलने कोई,
तो फिर इस दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।

ये कह-कह के हम दिल को समझा रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं

“जिसे चाहा, उसे वक़्त ने छीन लिया… फिर भी इंतज़ार दिल से ना गया।

Intzaar Shayari in Hindi

रात क्या होती है हमसे पूछिए,
आप तो सोये सवेरा हो गया।

उनका भी कभी हम दीदार करते थे,
उनसे भी कभी हम प्यार करते थे,
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते थे।

आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।

आपके बहुमूल्य समय और विश्वास के लिए दिल से धन्यवाद।
हम आभारी हैं कि आपने हमारे शायरी संसार को चुना।
आप सभी हमारी website पे आए हमे अच्छा लगा इसी तरह हमारी website पे आते रहे ।।

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